भारतीय स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव में संतुलित निवेश की अहमियत
भारतीय स्टॉक मार्केट में तेजी ने निवेशकों के दिलों में उम्मीदें जगा दी हैं। मार्केट में रिकॉर्ड ऊँचाइयों के बीच निवेशकों की नज़रें स्थायी रिटर्न पर टिकी हुई हैं। इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 में एडेलवाइस म्यूचुअल फंड की एमडी और सीईओ, राधिका गुप्ता ने इसी मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी। गुप्ता ने ‘दाल-चावल निवेश रणनीति’ का ज़िक्र करते हुए बताया कि कैसे ये सरल और प्रभावी तरीका निवेशकों को लंबे समय तक फायदेमंद साबित हो सकता है।
दाल-चावल निवेश क्या है?
राधिका गुप्ता ने निवेश के लिए जो शब्द चुना, वो हर भारतीय की जिंदगी से जुड़ा है—दाल-चावल। उन्होंने निवेश की तुलना एक सामान्य भारतीय भोजन से की। उनका कहना था कि जैसे दाल-चावल हमारी सेहत के लिए जरूरी होते हैं, वैसे ही एक स्थिर और सुरक्षित निवेश पोर्टफोलियो हमारी वित्तीय सेहत के लिए अनिवार्य है।
गुप्ता ने सुझाव दिया कि 80% निवेश ‘दाल-चावल’ फंड्स में होना चाहिए—यानी वो फंड्स जो स्थिर, सुरक्षित और दीर्घकालिक रिटर्न देते हैं। दूसरी ओर, उन्होंने ‘अचार-चटनी’ जैसे जोखिम भरे निवेशों से सावधान रहने की सलाह दी। उनका मानना है कि ऐसे हाई-रिस्क इनवेस्टमेंट्स से तुरंत लाभ तो मिल सकता है, लेकिन लंबे समय में ये वित्तीय अस्थिरता का कारण बन सकते हैं।
अनुशासन और लंबी अवधि की सोच है सफलता की कुंजी
गुप्ता ने अनुशासन के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि मार्केट की तेजी के समय भी हमें धैर्य रखना चाहिए। जल्दबाजी में फैसले लेने से नुकसान हो सकता है। उन्होंने ‘लंबी अवधि की सोच’ को सफल निवेश का आधार बताया।
उन्होंने SIP (Systematic Investment Plans) की बढ़ती लोकप्रियता पर भी ध्यान दिलाया, जिसे आजकल युवा निवेशक तेजी से अपना रहे हैं। SIP से न केवल अनुशासित निवेश होता है, बल्कि ये जोखिम को भी कम करता है, खासकर मार्केट में उतार-चढ़ाव के समय।
युवा निवेशकों की नई सोच
आज की युवा पीढ़ी निवेश के प्रति उत्साहित है। राधिका गुप्ता ने इसे ‘Coldplay टिकेट्स और iPhone की लंबी कतार’ से तुलना करते हुए बताया कि जिस प्रकार युवा नई चीज़ों के लिए उत्सुक होते हैं, उसी तरह वे स्टॉक मार्केट में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी अब जोखिम उठाने से नहीं डरती और इसे सकारात्मक रूप से देखना चाहिए।
IPO और छोटे-मध्यम कंपनियों का भविष्य
गुप्ता ने यह भी कहा कि भारत का IPO मार्केट और स्मॉल-कैप कंपनियां नए अवसरों से भरे हुए हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले 5-10 सालों में भारतीय बाजार में और भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
हालांकि, उन्होंने संतुलन बनाए रखने पर ज़ोर दिया। उनका मानना है कि, चाहे बाजार कितना भी आकर्षक क्यों न हो, निवेश में स्थिरता और अनुशासन बेहद जरूरी है।
अन्य विशेषज्ञों की राय
राधिका गुप्ता के साथ मंच पर अन्य विशेषज्ञों ने भी अपनी राय रखी। नवनीत मुन्नोत, HDFC एसेट मैनेजमेंट के एमडी और सीईओ, ने भारतीय अर्थव्यवस्था की ‘चमत्कारी वृद्धि’ पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे मार्केट में 400 पॉइंट से बढ़कर Sensex 85,000 तक पहुंच चुका है। मुन्नोत ने निवेशकों को धैर्य और अनुशासन से काम लेने की सलाह दी और घरेलू रिटेल निवेशकों की बढ़ती भूमिका को भी सराहा।
वहीं, मनीष चोकसी, एनाम सिक्योरिटीज के डायरेक्टर, ने छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने निवेशकों को स्मॉल-कैप्स में जोखिमों के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी, लेकिन कहा कि सही एसेट एलोकेशन से लंबी अवधि में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
निष्कर्ष: निवेश में संतुलन और अनुशासन जरूरी
राधिका गुप्ता की ‘दाल-चावल’ रणनीति एक महत्वपूर्ण संदेश देती है—निवेश में अनुशासन और संतुलन जरूरी है। चाहे मार्केट कितना भी आकर्षक क्यों न लगे, लंबी अवधि में सफल निवेश के लिए एक स्थिर और संतुलित दृष्टिकोण अपनाना बेहद आवश्यक है।
निवेश के मैदान में बने रहना, अनुशासन के साथ सही रणनीति अपनाना, और जोखिमों का आकलन करके निवेश करना ही सही रास्ता है। जैसा कि गुप्ता और अन्य विशेषज्ञों ने सलाह दी—”विकेट पर टिके रहना ही असली खेल है।“