परिसीमन आयोग: महत्व, कार्य, और भारतीय संविधान में भूमिका

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परिचय (Introduction)

भारत में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसे जनसंख्या में बदलाव और विभिन्न क्षेत्रों में असमानता को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। इसी के लिए “परिसीमन आयोग” का गठन होता है, जिसका उद्देश्य जनप्रतिनिधित्व को समान बनाए रखना है। परिसीमन क्या है? परिसीमन आयोग की क्या भूमिका है? आइए, इस ब्लॉग में इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं।

परिसीमन आयोग का गठन (Formation of the Delimitation Commission)

परिसीमन क्या है?

परिसीमन का अर्थ है—संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं को पुनर्निर्धारित करना। यह कार्य इसलिए जरूरी होता है क्योंकि देश की जनसंख्या लगातार बदलती रहती है, जिससे कई क्षेत्रों में असमानता आ जाती है। परिसीमन आयोग इस असमानता को समाप्त करने के लिए गठित किया जाता है ताकि प्रत्येक जनप्रतिनिधि समान रूप से जनता का प्रतिनिधित्व कर सके।

परिसीमन आयोग क्या है?

परिसीमन आयोग एक संवैधानिक निकाय है, जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत गठित किया जाता है। इसका गठन हर जनगणना के बाद होता है, ताकि निर्वाचन क्षेत्रों को जनसंख्या के अनुसार पुनर्निर्धारित किया जा सके। परिसीमन आयोग का गठन सबसे पहले 1952 में हुआ था, और अब तक कुल पाँच परिसीमन आयोग गठित किए जा चुके हैं।

परिसीमन आयोग का गठन कौन करता है?

परिसीमन आयोग का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, और इसके अध्यक्ष के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त किया जाता है। इसके अन्य सदस्य चुनाव आयोग और भारतीय संसद द्वारा नामित होते हैं।

परिसीमन आयोग की भूमिका (Role of the Delimitation Commission)

परिसीमन आयोग का मुख्य कार्य संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण करना है ताकि निर्वाचन क्षेत्रों में जनसंख्या का संतुलन बना रहे। इसके अलावा, यह आयोग यह भी सुनिश्चित करता है कि विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जनसंख्या के आधार पर सीटों का उचित बंटवारा हो।

जम्मू-कश्मीर परिसीमन

जम्मू-कश्मीर का परिसीमन हाल के समय में एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में बदलने के बाद परिसीमन आयोग द्वारा वहां नए निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण किया जा रहा है। यह कदम राज्य के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को प्रभावित करेगा।

परिसीमन आयोग का कार्यक्षेत्र (Jurisdiction and Functions of the Delimitation Commission)

परिसीमन आयोग का कार्यक्षेत्र पूरे देश में फैला हुआ है। यह आयोग न केवल राज्यों के संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का निर्धारण करता है, बल्कि केंद्रशासित प्रदेशों में भी परिसीमन की प्रक्रिया को अंजाम देता है। आयोग का हर निर्णय कानूनी रूप से बाध्यकारी होता है, और इसे चुनौती नहीं दी जा सकती।

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UPSC के लिए परिसीमन आयोग से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य (Delimitation Commission for UPSC Aspirants)

UPSC परीक्षाओं में परिसीमन आयोग से जुड़े प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं जो UPSC अभ्यर्थियों के लिए सहायक हो सकते हैं:

  • परिसीमन आयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत गठित किया जाता है।
  • हर जनगणना के बाद निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जाता है।
  • परिसीमन आयोग के निर्णय अंतिम और कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं।
  • जम्मू-कश्मीर का परिसीमन हाल ही में चर्चा का विषय रहा है।

राजस्थान और परिसीमन (Delimitation in Rajasthan)

राजस्थान में परिसीमन एक अहम मुद्दा है। प्रदेश में हर जनगणना के बाद परिसीमन प्रक्रिया शुरू की जाती है, ताकि विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों में जनसंख्या के अनुपात में सीटों का उचित बंटवारा हो सके। वर्तमान में राजस्थान विधानसभा के परिसीमन की तारीखें घोषित होने का इंतजार है।

निष्कर्ष (Conclusion)

परिसीमन आयोग भारतीय चुनावी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह आयोग सुनिश्चित करता है कि संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों में जनसंख्या का संतुलन बना रहे और हर नागरिक को उचित प्रतिनिधित्व मिले। परिसीमन आयोग का कार्य पारदर्शी और कानूनी प्रक्रिया से संचालित होता है, जो भारत के लोकतंत्र को और भी मजबूत बनाता है।

भविष्य में परिसीमन से संबंधित नई चुनौतियाँ और संभावनाएँ उभरेंगी, लेकिन परिसीमन आयोग की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण बनी रहेगी।

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