सितंबर के अंत में भारतीय शेयर बाजार ने दिखाया तेज़ी का अभूतपूर्व रुख

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सितंबर के अंत में भारतीय शेयर बाजार ने एक अद्वितीय तेजी की लहर पकड़ी, जो वैश्विक संकेतों और मजबूत घरेलू कारकों के मेल से उत्पन्न हुई। घरेलू और वैश्विक आर्थिक संकेतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, निवेशकों ने सितंबर में शेयर बाजार में जोरदार खरीदारी की। अक्टूबर के पहले हफ्ते में भी यह उत्साह कायम रहने की संभावना है, क्योंकि कई प्रमुख बाजार ट्रिगर्स और घटनाएं निवेशकों का ध्यान आकर्षित करेंगी।

सितंबर के अंतिम सप्ताह में तेज़ी का मुख्य कारण

सितंबर के अंतिम सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार में भारी तेजी देखने को मिली, जिसका प्रमुख कारण अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती और चीन की मौद्रिक प्रोत्साहन योजनाएं रहीं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर कोई बड़ी चिंता नहीं है, जिससे वैश्विक निवेशकों का विश्वास बढ़ा। चीन द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए उठाए गए कदमों ने भी इस रैली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सप्ताह की मुख्य घटनाएं

भारतीय बाजार के प्रमुख सूचकांक Nifty 50 और Sensex ने लगातार छह दिनों तक नए रिकॉर्ड बनाए। Nifty 50 ने 26,277 के नए सर्वकालिक उच्च स्तर को छुआ, जबकि S&P BSE Sensex 85,978 के शिखर तक पहुंचा। मेटल और वित्तीय शेयरों में प्रमुख रूप से निवेशकों की दिलचस्पी रही, जिसके चलते बाजार में जबरदस्त तेजी आई। हालाँकि, सप्ताह के अंत में बाजार में हल्की मुनाफावसूली देखने को मिली, लेकिन प्रमुख स्तरों से बाजार नीचे नहीं गिरा।

अक्टूबर के पहले सप्ताह के प्रमुख बाजार ट्रिगर्स

अक्टूबर के पहले सप्ताह में निवेशकों की नज़रें कई प्रमुख घटनाओं पर टिकी होंगी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण ऑटोमोबाइल कंपनियों की बिक्री के आंकड़े, Q2 के कॉर्पोरेट अपडेट्स, और मैक्रो-आर्थिक डेटा शामिल हैं। HSBC India द्वारा जारी किए जाने वाले मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज PMI पर भी निवेशकों की पैनी नज़र रहेगी।

साथ ही, सोमवार को होने वाली SEBI की बोर्ड बैठक में कुछ बड़े फैसलों की घोषणा की संभावना है, जो विदेशी और घरेलू निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इसके अलावा, कई नए IPO भी इसी सप्ताह लॉन्च होने जा रहे हैं, जो बाजार में और हलचल ला सकते हैं।

FII और DII की निवेश गतिविधियां

सितंबर में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयर बाजार में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया, जो इस साल का सबसे ऊंचा स्तर है। घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने भी बाजार में मजबूत निवेश बनाए रखा। विशेषज्ञों का मानना है कि अक्टूबर में भी FII का यह रुझान जारी रह सकता है, हालांकि चीन में हालिया मौद्रिक प्रोत्साहन के बाद कुछ निवेश वहां की ओर भी मुड़ सकते हैं।

वैश्विक संकेत और उनका भारतीय बाजार पर प्रभाव

अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार पर वैश्विक संकेतों का प्रभाव प्रमुख रहेगा। अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्था से जुड़े ताज़ा आंकड़े और नीतिगत निर्णयों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण होगा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरें, चीन के मौद्रिक कदम, और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भारतीय बाजार को प्रभावित कर सकते हैं।

विशेष रूप से, अमेरिका के नौकरी डेटा, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज PMI जैसे आंकड़े वैश्विक निवेश धारणा को निर्धारित करेंगे। इन संकेतों के आधार पर भारतीय बाजार में लघु अवधि में उतार-चढ़ाव की संभावना है।

तेल की कीमतों का असर

कच्चे तेल की कीमतों में पिछले सप्ताह हल्की गिरावट देखने को मिली, लेकिन चीन के नए आर्थिक प्रोत्साहन के बाद कीमतों में कुछ उछाल देखा गया। घरेलू बाजार में भी तेल की कीमतों का असर दिख सकता है, क्योंकि वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा प्रभाव भारतीय कंपनियों और उपभोक्ताओं पर पड़ता है।

तकनीकी दृष्टिकोण और निवेश की रणनीति

तकनीकी दृष्टिकोण से, Nifty 50 अब 26,500 और 27,000 के स्तरों को टारगेट कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि IT शेयरों में तेजी बनी रहती है, तो यह सूचकांक आगे और बढ़ सकता है। वहीं, यदि बाजार में गिरावट आती है, तो 25,700-25,900 का समर्थन स्तर है, जो बाजार को स्थिर रखने में सहायक हो सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक Nifty में भी सकारात्मक रुझान है। बैंकिंग सेक्टर में हुए मुनाफावसूली के बावजूद, 54,500 का स्तर प्रमुख रहेगा। यदि यह स्तर टूटता है, तो सूचकांक 55,000 तक जा सकता है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे “Buy on dips” की रणनीति अपनाएं और मेटल, ऑटो, हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स पर ध्यान केंद्रित करें।

निष्कर्ष

भारतीय शेयर बाजार ने सितंबर के अंत में अद्वितीय प्रदर्शन किया और यह तेजी अक्टूबर के पहले सप्ताह में भी जारी रहने की उम्मीद है। ऑटो बिक्री, कॉर्पोरेट अपडेट्स, और वैश्विक संकेतकों के आधार पर बाजार में आगे की दिशा तय होगी। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे प्रमुख ट्रिगर्स पर नज़र रखें और लंबी अवधि के लिए रणनीतिक रूप से निवेश करें।

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