सोने और शेयर बाजार का वित्त वर्ष 2025 में प्रदर्शन

Gold and Equities FY25

वित्त वर्ष 2025 (FY25) में भारत का शेयर बाजार और सोने की कीमतें दोनों ही शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। जहाँ Nifty 50 में करीब 16% की बढ़ोतरी हुई है, वहीं भारत में स्पॉट गोल्ड की कीमतों में अब तक 12% से अधिक का इज़ाफा हुआ है। दोनों परिसंपत्ति वर्गों में यह मजबूत वृद्धि कई प्रमुख आर्थिक और वैश्विक कारणों का परिणाम है।

शेयर बाजार को FY25 में बढ़ावा देने वाले कारक

1. मजबूत आर्थिक वृद्धि:

देश की अर्थव्यवस्था में निरंतर बढ़त ने शेयर बाजार को एक स्थिर आधार दिया है। वैभव शाह, फंड मैनेजर, TorusOroPMS के अनुसार, पहली छमाही में भारतीय सूचकांकों ने कई जीवनकाल उच्च स्तर छुए।

2. मुद्रास्फीति का आसान होना:

FY25 में मुद्रास्फीति नियंत्रण में रही है, जिससे बाजार में निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।

3. खुदरा निवेश में वृद्धि:

खुदरा निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार में बढ़ता रुझान, विशेषकर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में inflows, शेयर बाजार को स्थिरता प्रदान कर रहा है।

4. राजनीतिक स्थिरता:

वर्तमान सरकार की सत्ता में वापसी ने निवेशकों को नीतिगत स्थिरता का विश्वास दिलाया है। मनीष चौधरी, रिसर्च प्रमुख, StoxBox, ने बताया कि सरकार की योजनाओं ने विभिन्न क्षेत्रों को समर्थन दिया है, जिससे बाजार में मजबूती बनी हुई है।

सोने की बढ़त के पीछे के कारक

1. सुरक्षित आश्रय संपत्ति (Safe Haven Asset):

FY25 में सोने की बढ़त का मुख्य कारण इसकी सुरक्षित आश्रय संपत्ति के रूप में मांग में वृद्धि है। वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और ब्याज दरों में कटौती ने सोने को आकर्षक बना दिया है।

2. केंद्रीय बैंकों की खरीदारी:

वित्त वर्ष 2025 की शुरुआत से ही कई केंद्रीय बैंकों ने सोने की जमाखोरी शुरू कर दी है। भारत ने 42.6 मीट्रिक टन सोना खरीदा, जबकि चीन ने 28.9 मीट्रिक टन सोने की खरीदारी की। चितन मेहता, सीईओ, Abans Holdings के अनुसार, केंद्रीय बैंकों की इस खरीदारी का मुख्य कारण भू-राजनीतिक जोखिमों से बचाव है।

3. ब्याज दरों में गिरावट:

सितंबर में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 50 आधार अंकों की ब्याज दर कटौती ने सोने की मांग को और भी बढ़ा दिया है। यह गैर-उपज संपत्ति, जैसे कि सोना, निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बन गई है।

FY25 में शेयर बाजार का भविष्य

FY25 की दूसरी छमाही में भारतीय शेयर बाजार का दृष्टिकोण भी सकारात्मक दिखता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मजबूत आर्थिक वृद्धि और घरेलू तरलता (liquidity) में वृद्धि से बाजार में स्थिरता बनी रहेगी।

नरिंदर वाधवा, मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ, SKI Capital के अनुसार, भले ही कुछ अल्पकालिक उतार-चढ़ाव हो सकते हैं, लेकिन लंबी अवधि का दृष्टिकोण सकारात्मक है, विशेषकर बैंकिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी क्षेत्रों में।

1. घरेलू निवेश में वृद्धि:

शाह का कहना है कि भारतीय बाजार अब विदेशी निवेशकों पर कम निर्भर हैं और घरेलू निवेशक बाजार की अस्थिरता को संभालने में सक्षम हो रहे हैं।

2. सेक्टर रोटेशन का लाभ:

वाधवा के अनुसार, निवेशकों को उच्च-वृद्धि वाले क्षेत्रों में लंबी अवधि के लिए निवेश पर ध्यान देना चाहिए, जबकि रक्षात्मक क्षेत्रों में चयनात्मक रूप से पोजीशन लेना चाहिए।

FY25 में सोने का भविष्य

सोने का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि ब्याज दरों में कितनी कटौती होती है और डॉलर का मूल्य कैसे चलता है। नरिंदर वाधवा के अनुसार, वैश्विक मंदी के डर और केंद्रीय बैंकों की जारी मौद्रिक ढील के चलते सोने की सुरक्षित निवेश की अपील बरकरार रहेगी।

क्रमिक खरीदारी:

निवेशकों को सोने में आक्रामक खरीदारी करने के बजाय धीरे-धीरे जमा करने की रणनीति अपनानी चाहिए। इस समय ऊंची कीमतों पर आंशिक मुनाफा बुक करना भी एक उचित कदम हो सकता है।

निष्कर्ष

वित्त वर्ष 2025 में सोना और शेयर दोनों ही दमदार प्रदर्शन कर रहे हैं। जहां शेयर बाजार को आर्थिक वृद्धि और राजनीतिक स्थिरता का समर्थन मिला है, वहीं सोने को वैश्विक अस्थिरता और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी का। दोनों परिसंपत्ति वर्गों में निवेशकों के लिए सुनहरे अवसर हैं, लेकिन निवेश रणनीति को ध्यान से अपनाने की आवश्यकता है।


Disclaimer:

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।

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